उत्तराखंड में चारधाम यात्रा फिर से शुरू होने जा रही है

उत्तराखंड सरकार और जिला प्रशासन की लगातार मेहनत से अब चारधाम यात्रा फिर से पूरी तरह से शुरू होने जा रही है। खासकर यमुनोत्री धाम की यात्रा 13 सितंबर, शनिवार से बहाल कर दी जाएगी।

यात्रा रुकी क्यों थी?

हाल ही में उत्तरकाशी जिले के धराली क्षेत्र में भयंकर भूस्खलन और मलबा गिरने से गंगोत्री और यमुनोत्री धाम जाने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए थे। इसी वजह से यात्रा कई दिन तक बाधित रही।

गंगोत्री धाम के लिए स्थिति

गंगोत्री मार्ग की मरम्मत सबसे पहले पूरी की गई। अब सीमित संख्या में श्रद्धालुओं को गंगोत्री धाम जाने की अनुमति दी जा रही है।
ध्यान दें – धरासू, नालूपानी, हेलगुगाड़ व डबरानी जैसे संवेदनशील स्थानों पर अभी भी भूस्खलन की घटनाएं हो रही हैं। प्रशासन विशेष सतर्कता से इन जगहों की निगरानी कर रहा है।

यमुनोत्री धाम यात्रा की तैयारी

यमुनोत्री हाईवे पर करीब 150 मीटर सड़क बह गई थी। मरम्मत का काम युद्धस्तर पर चल रहा था और अब यह लगभग पूरा हो चुका है।
13 सितंबर से यमुनोत्री यात्रा शुरू हो जाएगी।
➔ ऑफलाइन पंजीकरण काउंटर फिर से शुरू हो चुके हैं (ऋषिकेश व हरिद्वार में)।

केदारनाथ और बद्रीनाथ मार्ग भी बहाल

केदारनाथ व बद्रीनाथ मार्ग भी अब लगभग सामान्य स्थिति में आ गए हैं।
प्रशासन ने जेसीबी, डंपर और आपदा प्रबंधन दल तैनात कर रखे हैं, ताकि किसी भी आपात स्थिति से तुरंत निपटा जा सके।

सुरक्षा व मौसम की सतर्क निगरानी

  • ड्रोन और आधुनिक तकनीक से संवेदनशील स्थानों की निगरानी की जा रही है।
  • यात्रियों को सलाह दी गई है कि यात्रा से पहले मौसम अपडेट अवश्य देखें।
  • आवश्यक दिशा-निर्देशों का पालन करना आवश्यक है।
  • अचानक बारिश या भूस्खलन की स्थिति में यात्रा को रोका जा सकता है।

यात्रा समाप्ति का समय

चारधाम यात्रा इस वर्ष 23 अक्टूबर (भाई दूज) को समाप्त होगी, जब बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद हो जाएंगे।
इसलिए श्रद्धालुओं को जल्द से जल्द अपनी यात्रा की योजना बनाकर पंजीकरण पूरा करना चाहिए।

स्थानीय अर्थव्यवस्था को सहारा

यात्रा फिर से शुरू होने से होटल, ट्रैवल एजेंसियां और स्थानीय व्यापारी भी राहत महसूस कर रहे हैं।
पर्यटन विभाग का मानना है कि यह कदम क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को मजबूती देगा।

निष्कर्ष

उत्तराखंड में चारधाम यात्रा अब फिर से सुरक्षित और सुगम तरीके से शुरू हो रही है। प्रशासन और स्थानीय लोग लगातार सतर्कता के साथ कार्यरत हैं, ताकि श्रद्धालु निर्बाध रूप से भगवान के चारों धाम के दर्शन कर सकें।

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