इसरो गुजरात में बनाएगा भारत का दूसरा सबसे बड़ा स्पेस स्टेशन

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) गुजरात में देश का दूसरा सबसे बड़ा स्पेस स्टेशन बना रहा है। यह एक बड़ा प्रोजेक्ट है जिसकी लागत करीब ₹10,000 करोड़ है। ISRO के स्पेस एप्लिकेशन सेंटर (SAC) के डायरेक्टर निलेश देसाई ने CNBC आवाज़ को दिए इंटरव्यू में बताया कि इस प्रोजेक्ट पर काम तेज़ी से चल रहा है।यह नया स्पेस स्टेशन दिउ और वेरावल के बीच बनाया जा रहा है। यहाँ से SALV और PSLV रॉकेट लॉन्च किए जाएंगे।निलेश देसाई ने बताया कि गुजरात भूमध्य रेखा (equator) के करीब है, जिससे रॉकेट लॉन्च करने में खास फायदा मिलता है। उन्होंने यह भी बताया कि ISRO अब कम्युनिकेशन (संचार), नेविगेशन (दिशा-निर्देशन) और रिमोट सेंसिंग (दूर से डेटा इकट्ठा करने वाली तकनीकगुजरात सरकार ने एक स्पेशल स्पेस मिशन पॉलिसी शुरू की है, जो केंद्र सरकार की योजना से जुड़ी हुई है। इसका मकसद है कि गुजरात को भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में अहम भूमिका मिल सके। इसके साथ ही, भारत अप्रैल 2026 तक 52 सैटेलाइट्स की निगरानी श्रृंखला (surveillance constellation) की शुरुआत करेगा। रिपोर्ट्स के अनुसार:
इनमें से 31 सैटेलाइट ISRO बनाएगा और लॉन्च करेगा
बाकी सैटेलाइट्स तीन निजी कंपनियाँ बनाएंगी, लेकिन सरकार की निगरानी में
पूरा नेटवर्क 2029 तक तैयार और तैनात कर दिया जाएगा
स्थान और उद्देश्य
ISRO गुजरात के दिउ और वेरावल के बीच एक नया स्पेस स्टेशन बना रहा है, जो श्रीहरिकोटा के बाद देश का दूसरा सबसे बड़ा होगा
यह स्थान इसलिए चुना गया क्योंकि भूमध्य रेखा के नजदीक होने के कारण रॉकेट लॉन्च में ईंधन की बचत और अधिक भार ले जाने में मदद मिलती है ।
लागत और विकास की स्थिति
इस महत्वाकांक्षी परियोजना की अनुमानित लागत ₹10,000 करोड़ है
ISRO का कहना है कि विकास कार्य तेजी से प्रगति पर है
लॉन्च सुविधाएँ
यह स्पेस स्टेशन PSLV, SALV (या SSLV), और LVM3 रॉकेट लॉन्च सपोर्ट करेगा
इससे ISRO को श्रीहरिकोटा के अलावा गुजरात में और भी लॉन्च क्षमता मिलेगी, जिससे मिशन की संख्या बढ़ेगी
तकनीकी प्राथमिकताएँ
ISRO अब 70% अपने कार्यक्रम का ध्यान सैटेलाइट कम्युनिकेशन, नेविगेशन और रिमोट सेंसिंग पर केंद्रित कर रहा है
यह केंद्र गुजरात में स्थित स्पेस स्टेशन इन तकनीकों के प्रयोग और लॉन्च को समर्थन देगा
राज्य और केंद्र की पहल
गुजरात सरकार ने Space Tech Policy 2025–2030 शुरू की है, जिससे राज्य में अंतरिक्ष उद्योग को सहयोग, निवेश और निजी भागीदारी की सुविधा मिलेगी
यह नीति केंद्र सरकार की योजनाओं के अनुरूप है, और राज्य को अंतरिक्ष टेक्नोलॉजी हब बनाने में मदद करेगी ।
राष्ट्रीय महत्व
नया स्पेस स्टेशन ISRO के गगनयान, चंद्रयान-5 और वीनस ऑर्बिटर जैसे मिशनों के साथ 2026 तक सहयोग करेगा
इससे भारत का स्पेस इंफ्रास्ट्रक्चर विश्वसनीय और विविध हो जाएगा, और मिशनों में लोकेशन डिपेंडेंसी कम होगी ।
स्थान और रणनीतिक महत्त्व
स्पेस स्टेशन दिउ और वेरावल के बीच तटीय इलाके में बना रहा है, जिससे रॉकेट लॉन्च के लिए भूमध्य रेखा के निकट, ईंधन की बचत और भार क्षमता में लाभ मिलता है
इससे श्रीहरिकोटा के अलावा एक नया लॉन्च स्थल स्थापित होगा, जिससे मिशनों की संख्या और फ्रीक्वेंसी में बढ़ोतरी संभव है ।
निवेश और प्रगति
परियोजना की अनुमानित लागत ₹10,000 करोड़
ISRO ने कहा है कि इसके निर्माण में तेजी आ रही है और यह जल्द ही शुरूआती चरणों में प्रवेश कर सकता है ।
लॉन्च क्षमताएँ
- यह नया स्पेस स्टेशन LVM3, PSLV और SSLV/SALV रॉकेट लॉन्च करने की क्षमता रखेगा
- इससे भारत के स्पेस लॉन्च ढांचे को विविधता मिलेगी और श्रीहरिकोटा पर निर्भरता कम होगी


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