अमेरिका ने बढ़ाया शुल्क, भारत ने बदली रणनीति

अमेरिका द्वारा भारतीय उत्पादों पर लगाए गए भारी शुल्कों का असर धीरे-धीरे कम होता दिख रहा है। भारत अब सिर्फ अमेरिका पर निर्भर नहीं है, बल्कि कई नए देशों को अपना स्थायी बाज़ार बना रहा है। यह रणनीति अब जमीन पर मजबूत नतीजे दे रही है।

अमेरिका में गिरावट, लेकिन कुल निर्यात बढ़ा

अगस्त में अमेरिका ने भारतीय वस्तुओं पर टैरिफ को 25% से बढ़ाकर 50% कर दिया। उम्मीद थी कि भारत के निर्यात पर इसका बड़ा असर पड़ेगा।
लेकिन सितंबर में भारत का कुल व्यापारिक निर्यात 6.7% बढ़कर 36.38 अरब डॉलर पहुंच गया।

  • अमेरिका को निर्यात: 11.93% की गिरावट
  • कुल निर्यात: लगभग स्थिर और मजबूती के साथ

इसका सबसे बड़ा कारण है — नए बाजारों की ओर भारत का रुख

अमेरिका में समुद्री खाद्य और कपड़ों की मांग गिरी, लेकिन एशिया में बढ़ी

सरकारी आंकड़ों के अनुसार:

  • अमेरिका को समुद्री खाद्य निर्यात: 27% की कमी
  • चीन, वियतनाम, थाईलैंड को निर्यात: 60% से अधिक वृद्धि
  • अमेरिका में सिले-सिलाए कपड़े, चमड़ा, चाय, कालीन, बासमती की मांग: गिरावट
  • अन्य देशों में इनकी मांग तेज़ी से बढ़ी

यह बदलाव दिखाता है कि भारत अपनी निर्भरता कम करते हुए एक विविध निर्यात प्रणाली बना रहा है।

UAE, फ्रांस और जापान बने नए मजबूत बाज़ार

नई व्यापार रणनीति के तहत कई देशों में भारतीय उत्पादों की मांग बढ़ रही है—

  • संयुक्त अरब अमीरात, फ्रांस और जापान: भारतीय वस्त्रों और तैयार कपड़ों का बड़ा बाज़ार बनते जा रहे हैं।
  • ईरान को बासमती चावल: 6 गुना तक बढ़ा निर्यात
  • भारत की चाय की मांग: UAE, जर्मनी और इराक में तेजी से बढ़ी

भारत अब ऐसे नए देशों पर ध्यान दे रहा है जहां भारतीय उत्पादों के लिए बड़ी संभावनाएं हैं।

40 देशों की पहचान, बड़ा निर्यात अभियान शुरू

भारत सरकार ने निर्यात विविधीकरण के लिए यूरोप, एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका के 40 प्रमुख देशों की पहचान की है।
भारत खास तौर पर इन देशों में इन उत्पादों को बढ़ावा दे रहा है:

  • वस्त्र और टेक्सटाइल
  • हस्तशिल्प
  • तकनीकी वस्त्र
  • कृषि आधारित उत्पाद

सरकार का लक्ष्य है— अधिक देशों में पहुंच बनाकर निर्यात को स्थिर और मजबूत करना।

भविष्य की चुनौतियां और संभावनाएं

विशेषज्ञों का मानना है कि यह रणनीति सफल हो सकती है, लेकिन कुछ चुनौतियां बनी रहेंगी—

  • चीन की सस्ती प्रतिस्पर्धा
  • दूसरे देशों द्वारा दी जाने वाली भारी छूट
  • वैश्विक मांग का उतार-चढ़ाव

इसके बावजूद, भारत अब एक स्थायी, विविध और सुरक्षित निर्यात नेटवर्क तैयार करने पर जोर दे रहा है।

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