अफगानिस्तान भूकंप: बड़ी तबाही और मानवीय संकट

भूकंप का असर

1 सितंबर 2025 को कुनार प्रांत, अफगानिस्तान में भूकंप आया, जिसमें:

  • 2,200 से ज्यादा लोग मारे गए
  • 3,600 से अधिक घायल हुए
  • कई गांव पूरी तरह तबाह हो गए।
    भूकंप के बाद लगातार झटके भी आते रहे, जिससे पहाड़ों से चट्टानें गिरने लगीं और भूस्खलन हुआ।

लोग गांव लौटने से डर रहे हैं

भूकंप के बाद लोग अपने घरों में वापस नहीं जा रहे।
उनका डर है:

  • फिर से भूकंप आएगा।
  • पहाड़ों से पत्थर गिरेंगे।

वर्तमान हालात:

  • सड़क किनारे, खेतों में, नदियों के पास खुले आसमान के नीचे रहना मजबूरी बन गई।
  • बहुत से लोगों के पास तंबू भी नहीं हैं।

उदाहरण:

आदम खान (67 साल) – “मेरा घर पूरी तरह टूट गया। न तंबू बचा, न सुरक्षित जगह। बारिश में भी खुले आसमान के नीचे रहा।”
शम्स-उर-रहमान (40 साल) – “मेरे छह रिश्तेदार भूकंप में मरे। हम सड़क किनारे रह रहे हैं। सरकार से हमें सुरक्षित जगह चाहिए।”

कमजोर घर और बुनियादी सुविधाओं की कमी

अफगानिस्तान में पहले से गरीबी बहुत गहराई तक फैली हुई है।

  • घर ज्यादातर मिट्टी और पत्थर से बने होते हैं, जो भूकंप में तुरंत गिर जाते हैं।
  • सड़कें, अस्पताल, और शहरी सुविधाएं बहुत दूर हैं।

इस वजह से बचाव अभियान और राहत कार्य कठिन हो रहे हैं।

अस्थायी राहत शिविर में जीवन

  • हजारों लोग अस्थायी राहत शिविरों में रह रहे हैं।
  • हेलीकॉप्टर से ज़रूरी सामान और भोजन भेजा जा रहा है।
  • लेकिन पीड़ितों का कहना है कि मदद बहुत धीमी है।
  • रोज़ाना पर्याप्त खाना और पानी नहीं मिल रहा।

बच्चों पर असर

सबसे ज्यादा परेशानी बच्चों को हो रही है।
सादिक (12 साल) – “11 घंटे तक मलबे में फंसा रहा। दादी और चचेरे भाई की मौत हो गई। मैं बहुत डरा हुआ हूँ। यह दिन मानो कयामत जैसा था।”

अंतर्राष्ट्रीय चेतावनी

अगर पीड़ितों को जल्द से जल्द:

  • खाना
  • साफ पानी
  • इलाज
  • सुरक्षित आश्रय
    नहीं दिया गया, तो:
    बीमारियाँ और गरीबी बढ़ सकती हैं।

अफगानिस्तान पहले से ही दुनिया के सबसे गरीब और भूकंप प्रभावित देशों में शामिल है।
समय पर मदद न मिलने पर हालात और खराब होंगे।

निष्कर्ष

यह एक गंभीर मानवीय संकट है।
सरकार और अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों को मिलकर पीड़ितों की मदद करनी होगी।
ताकि लोग सुरक्षित जगह पर जा सकें और उनका जीवन फिर से चल सके।

आप भी मदद कर सकते हैं
दूर बैठे हुए भी मदद पहुंचाने के कई रास्ते हैं।
मानवता का फर्ज बनता है कि इस संकट में आगे आएं।

Spread the News

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *