“अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता वर्ष 2025” का शुभारंभ
मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने गुरुवार को पिथौरागढ़ में “अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता वर्ष 2025” के उपलक्ष्य में आयोजित विशाल सहकारिता मेले का शुभारंभ किया।
इस मौके पर उन्होंने जिले के विकास के लिए ₹85.14 करोड़ की विभिन्न योजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास किया।
कार्यक्रम में स्थानीय जनता, जनप्रतिनिधि, सहकारी समितियों से जुड़े कार्यकर्ता और अधिकारी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।
सहकारिता से आत्मनिर्भरता की राह
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि आज जिन योजनाओं का शुभारंभ हुआ है, वे पिथौरागढ़ के सर्वांगीण विकास में एक मील का पत्थर साबित होंगी।
उन्होंने कहा कि भारत में सहकारिता की परंपरा प्राचीन काल से रही है —
जहां लोग एक-दूसरे की मदद करके स्वावलंबी बनने की भावना को आगे बढ़ाते हैं।
उन्होंने संयुक्त राष्ट्र द्वारा वर्ष 2025 को “अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता वर्ष” घोषित किए जाने को एक महत्वपूर्ण कदम बताया, जो दर्शाता है कि सहयोग और साझेदारी अब वैश्विक विकास का आधार बन चुके हैं।
सहकार से समृद्धि की ओर भारत
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश “सहकार से समृद्धि” के लक्ष्य की ओर बढ़ रहा है।
प्रधानमंत्री के दूरदर्शी निर्णय के तहत देश में अलग सहकारिता मंत्रालय का गठन किया गया,
जो अब ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त करने में अहम भूमिका निभा रहा है।
उन्होंने बताया कि केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह के नेतृत्व में यह मंत्रालय
सहकारी संस्थाओं को मजबूत करने के लिए नीतिगत और प्रशासनिक ढांचा तैयार कर रहा है।
उत्तराखण्ड ने बनाई सहकारिता में नई पहचान
मुख्यमंत्री धामी ने गर्व से बताया कि देश में सहकारी समितियों का कंप्यूटरीकरण सबसे पहले उत्तराखण्ड से शुरू हुआ था।
आज राज्य की 671 समितियों का कंप्यूटरीकरण पूरा हो चुका है।
उन्होंने बताया कि:
- 24 समितियाँ “जन औषधि केंद्र” के रूप में काम कर रही हैं — ग्रामीणों को सस्ती और गुणवत्तापूर्ण दवाइयाँ उपलब्ध करा रही हैं।
- 640 समितियाँ “कॉमन सर्विस सेंटर” बन चुकी हैं, जहाँ ग्रामीणों को सरकारी सेवाएँ गाँव में ही मिल रही हैं।
किसानों और महिलाओं के लिए बनी नई ताकत
मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य सरकार किसानों और महिलाओं के कल्याण के लिए कई योजनाएँ चला रही है।
“दीनदयाल उपाध्याय सहकारिता किसान कल्याण योजना” के तहत:
- किसानों और स्वयं सहायता समूहों को
₹5 लाख तक का ब्याजमुक्त ऋण — पशुपालन, दुग्ध व्यवसाय, मछली पालन, फूलों की खेती आदि के लिए। - लघु और सीमांत किसानों को ₹1 लाख तक का ब्याजमुक्त फसली ऋण।
सहकारी बैंकों की मजबूती:
- राज्य के सहकारी बैंकों में ₹16,000 करोड़ से अधिक की जमापूंजी है — जो जनता के विश्वास का प्रतीक है।
- सहकारिता से महिला उद्यमिता को नई पहचान मिली है।
- 1.70 लाख महिलाएँ “लखपति दीदी” बन चुकी हैं, जो आत्मनिर्भरता का प्रेरक उदाहरण हैं।
पिथौरागढ़ में विकास की नई शुरुआत
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार का लक्ष्य है —
पिथौरागढ़ को विकास के हर क्षेत्र में अग्रणी बनाना।
सहकारिता आंदोलन के माध्यम से स्थानीय लोगों को
रोजगार, स्वास्थ्य और आर्थिक अवसरों से जोड़ा जा रहा है।
उन्होंने कहा कि सहकारिता न केवल ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करती है,
बल्कि समाज के कमजोर वर्गों को आत्मनिर्भर बनने का अवसर देती है।
कार्यक्रम में बड़ी संख्या में लोगों की भागीदारी
इस अवसर पर कार्यक्रम में शामिल हुए प्रमुख जनप्रतिनिधि और अधिकारी:
- श्री अजय टम्टा — राज्य मंत्री, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय, भारत सरकार
- श्री बिशन सिंह चुफाल — विधायक
- श्रीमती कल्पना देवलाल — मेयर, पिथौरागढ़
- श्री जितेन्द्र प्रसाद — अध्यक्ष, जिला पंचायत
- श्री गिरीश जोशी — भाजपा जिलाध्यक्ष
- श्री आशीष भटगांई — जिलाधिकारी
- सुश्री रेखा यादव — पुलिस अधीक्षक
इसके अलावा बड़ी संख्या में स्थानीय जनता और सहकारी समितियों के कार्यकर्ता मौजूद रहे।
“सहकारिता जीवनशैली है, केवल व्यवस्था नहीं” — सीएम धामी
कार्यक्रम के अंत में मुख्यमंत्री ने कहा —
“सहकारिता केवल एक व्यवस्था नहीं, बल्कि समाज को एक सूत्र में बाँधने वाली जीवनशैली है।”
उन्होंने सभी नागरिकों से अपील की कि वे सहकारिता की भावना को अपनाएँ और
उत्तराखण्ड को आत्मनिर्भर और समृद्ध बनाने में अपनी भूमिका निभाएँ।

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