हर समय खुश रहना क्यों जरुरी है !

Toxic Positivity एक ऐसी मानसिक स्थिति है जिसमें इंसान पर हर हाल में “खुश रहने” का दबाव होता है — चाहे वह अंदर से दुखी, थका या टूटा ही क्यों न हो।
जैसे:
“सब अच्छा होगा”,
“सिर्फ पॉजिटिव सोचो”,
“मत रो, स्ट्रॉन्ग बनो”
— ऐसे वाक्य इंसान की असली भावनाओं को दबा देते हैं।
बाहर से यह पॉजिटिविटी दिखती है, पर अंदर से इंसान को:
- अकेला बनाती है,
- दबाव में डालती है,
- और झूठा हंसने पर मजबूर करती है।
यह एक तरह का मानसिक ज़हर क्यों है?
क्योंकि यह हमें हमारी असली भावनाएं:

- छिपाने,
- अनदेखा करने,
- और दबा देने पर मजबूर करता है।
दुख, दर्द, ग़लतियाँ – ये इंसान होने का हिस्सा हैं। इन्हें स्वीकार करना भी जरूरी है।
लेकिन Toxic Positivity कहती है:
“ये मत सोचो, बस मुस्कुराओ!”
Toxic Positivity के लक्षण:
- हमेशा मुस्कुराना ज़रूरी समझना – चाहे अंदर से टूटे हों, चेहरा फिर भी हँसता दिखाना।
- दुख, गुस्सा या डर को छिपाना – मानना कि ये फीलिंग्स ‘गलत’ हैं।
- दूसरों की परेशानी को हल्का समझना – “सब ठीक हो जाएगा” कहकर उनकी भावनाओं को छोटा करना।
- Over Positive Statements – “शुक्र करो, औरों की हालत और खराब है” कहना।
- Emotional Distance – अंदर से खाली महसूस करना, लेकिन किसी से शेयर न करना।
Toxic Positivity क्यों खतरनाक है?
- भावनाओं को दबाना = एक दिन भावनात्मक विस्फोट (Emotional Explosion)
- मानसिक स्वास्थ्य बिगड़ता है – Anxiety, Depression, Guilt बढ़ता है
- रिश्तों में दूरी आती है – लोग ‘फेक पॉजिटिव’ इंसान से कनेक्ट नहीं कर पाते
- Self-worth कम हो जाती है – खुद को दोष देने लगते हैं कि “मैं पॉजिटिव क्यों नहीं हूं?”
ऐसे वाक्य जो Toxic Positivity को बढ़ाते हैं:
- किसी दुखी इंसान से कहना: “कम से कम तुम ज़िंदा हो” – उसका दुख कम नहीं होता।
- किसी को नौकरी से निकाल दिया गया और कहें: “किस्मत थी, खुश रहो” – ये उसके तनाव को हल्का नहीं करता।
- खुद अंदर से टूटे हैं, फिर भी सोचना: “मुझे तो पॉजिटिव रहना चाहिए” – ये खुद के खिलाफ जंग है।
Toxic Positivity से बचने के उपाय:
- सुनो, जज मत करो – सामने वाले के दर्द को समझो, छिपाओ मत।
- Feelings को Feel करो – रोना, थकना, गुस्सा आना इंसानी बात है।
- Real रहो, Fake नहीं – झूठी मुस्कान से बेहतर है सच्चा दर्द शेयर करना।
- “It’s okay to not be okay” – इस बात को रोज़ याद दिलाओ।
- पॉजिटिव होना गलत नहीं, पर जबरदस्ती पॉजिटिव बनाना गलत है – बैलेंस ज़रूरी है।

निष्कर्ष:
Toxic Positivity इतनी गहराई से हमारे समाज में घुस गई है कि दुखी होना भी शर्म की बात लगने लगी है। लेकिन सच यह है:
“सच्चा पॉजिटिव बनना मतलब हर भावना को अपनाना – न कि सिर्फ अच्छी दिखने वाली को।”
Source research by me Taken Help of AI to frame it
This Article Is Written By Shreya Bharti, Intern In News World India

News World India is India’s Fastest Growing News channel known for its quality programs, authentic news, and reliable breaking news. News World India brings you 24/7 Live Streaming, Headlines, Bulletins, Talk Shows, Infotainment, and much more.
Watch minute-by-minute updates of current affairs and happenings from India and all around the world!