शिक्षक दिवस पर महिलाओं का अनोखा अभियान

शिक्षक दिवस पर जिले की महिलाओं ने ऐसा काम किया है, जो पूरे समाज के लिए मिसाल है। जिन महिलाओं की पढ़ाई कभी बीच में छूट गई थी, वही महिलाएं अब दूसरी महिलाओं को पढ़ा रही हैं और उनके सपनों को पूरा करने में मदद कर रही हैं।

5 रुपये से शुरू हुई बड़ी पहल

इस अभियान की सबसे खास बात यह है कि जिले की 40 हजार महिलाएं हर महीने सिर्फ 5 रुपये देती हैं
अब तक इससे करीब 14 लाख रुपये जमा हो चुके हैं।

पहले इस पैसे से बच्चों की पढ़ाई होती थी, लेकिन अब इसे उन महिलाओं की शिक्षा पर खर्च किया जा रहा है, जो कभी स्कूल नहीं जा सकीं।

इन पैसों से शिक्षक रखे गए हैं और शाम को क्लास लगाई जाती है। दिनभर घर और काम में व्यस्त महिलाएं शाम को पढ़ाई करने आती हैं।

सीखने की ललक अब भी जिंदा

इस मुहिम से 40 से 50 साल की महिलाएं भी जुड़ी हैं।

  • अब तक 80 महिलाएं मैट्रिक पास कर चुकी हैं।
  • इस साल 100 से ज्यादा महिलाओं का नामांकन हुआ है।

उनका जज़्बा बताता है कि सीखने की कोई उम्र नहीं होती

खुद ही विद्यार्थी, खुद ही गुरु

जो महिलाएं पहले से मैट्रिक पास कर चुकी हैं, वही अब बाकी महिलाओं को पढ़ा रही हैं।

  • 45 साल की रीना और 50 साल की कांति कहती हैं कि शुरुआत में थोड़ी हिचकिचाहट थी।
  • लेकिन जब सब साथ में बैठकर पढ़ने लगीं तो हिम्मत आ गई।

वे कहती हैं, “अब लगता है कि बचपन का सपना इस उम्र में पूरा हो रहा है।”

मीना बनीं प्रेरणा

इस मुहिम की शुरुआत करने वाली मीना बताती हैं:
जब वे जीविका समूह से जुड़ीं, तब उन्हें लगा कि बिना पढ़ाई जिंदगी अधूरी है।
तभी उन्होंने महिलाओं को पढ़ाने का फैसला लिया।

पहले कुछ महिलाएं ही जुड़ीं, लेकिन धीरे-धीरे संख्या बढ़ी और आज यह आंदोलन बन गया है।

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