मनसा देवी मंदिर के पास पहाड़ी का बड़ा हिस्सा ढहा

उत्तराखंड में इस मानसून ने भारी तबाही मचाई है। रविवार को हरिद्वार में मनसा देवी मंदिर के पास अचानक बड़ी पहाड़ी टूटकर नीचे आ गिर गई। मलबा सीधे भीमगोड़ा रेलवे ट्रैक और सुरंग के पास जमा हो गया।
इस वजह से हरिद्वार–देहरादून रेल मार्ग पर ट्रेनें रुक गईं और यात्रियों को लंबा इंतजार करना पड़ा।

धमाके जैसी आवाज के बाद अफरा-तफरी

स्थानीय लोगों ने बताया कि अचानक जोरदार धमाके जैसी आवाज हुई और देखते ही देखते पहाड़ी का हिस्सा टूटकर नीचे गिर गया।

  • मिट्टी और बड़े पत्थर रेलवे ट्रैक पर फैल गए।
  • सुरंग के पास लगे लोहे के जाल भी मलबे की मार से क्षतिग्रस्त हो गए।
    इलाके में हड़कंप मच गया।

रेल सेवाएं ठप, यात्री फंसे

  • हरिद्वार–देहरादून रेल मार्ग पर रोजाना हजारों यात्री सफर करते हैं।
  • लेकिन इस घटना के कारण कई ट्रेनें रोक दी गईं।
  • यात्रियों को घंटों तक इंतजार करना पड़ा।
  • कई की यात्रा रद्द कर दी गई।
    रेलवे विभाग ने कहा:
    “जब तक ट्रैक पूरी तरह साफ और सुरक्षित नहीं होगा, ट्रेनों का संचालन नहीं होगा।”

राहत: जनहानि नहीं हुई

सौभाग्य से इस घटना में किसी की जान नहीं गई।

  • रेलवे और प्रशासन की टीमें तुरंत मौके पर पहुंचीं।
  • जेसीबी और अन्य मशीनों की मदद से मलबा हटाने का कार्य शुरू।
    हालांकि, ट्रैक और सुरंग को पूरी तरह दुरुस्त करने में समय लग सकता है।

लगातार बारिश और खतरे की बढ़ती चुनौती

विशेषज्ञों का कहना है:

  • लगातार बारिश से पहाड़ी मिट्टी ढीली हो जाती है।
  • भूस्खलन का खतरा बढ़ जाता है।
  • पानी के रिसाव और चट्टानों में कंपन से अचानक खिसकने की घटनाएं आम हो गई हैं।
    हरिद्वार जैसे धार्मिक पर्यटन स्थल पर यह खतरा और गंभीर है, क्योंकि रोजाना बड़ी संख्या में श्रद्धालु और पर्यटक आते हैं।

मलबा हटाने में लग सकता है समय

रेलवे अधिकारियों का अनुमान:

  • मलबा हटाने और ट्रैक की मरम्मत में कई घंटे से लेकर 1–2 दिन तक का समय लग सकता है।
  • कुछ ट्रेनों को रद्द किया जाएगा।
  • कुछ ट्रेनों को डायवर्ट किया जाएगा।
    यात्रियों से अनुरोध:
    “कृपया धैर्य रखें और केवल आधिकारिक जानकारी पर भरोसा करें।”

स्थानीय लोग सहमे हुए

  • कुछ दिन पहले भी इसी पहाड़ी का हिस्सा खिसका था।
  • स्थानीय लोग पहले से ही डरे हुए थे।
  • दुकानदार और निवासी चिंता जताते हैं कि ऐसी घटनाएं धार्मिक पर्यटन पर बुरा असर डालेंगी।
    यह घटना साफ दिखाती है कि जलवायु परिवर्तन और लगातार हो रही बारिश से पहाड़ कितने असुरक्षित हो गए हैं।

निष्कर्ष

यह हादसा केवल एक दुर्घटना नहीं, बल्कि सतर्क करने वाली चेतावनी है।
प्रशासन और रेलवे को स्थायी समाधान पर ध्यान देना चाहिए।
यात्रियों की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता बननी चाहिए।

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