प्रशांत किशोर का नया फॉर्मूला, सियासत में हलचल

जैसे-जैसे बिहार चुनाव नजदीक आ रहे हैं, सियासी माहौल और गरम होता जा रहा है।
हर पार्टी नए-नए दांव खेल रही है ताकि वोटरों को अपने साथ जोड़ा जा सके।
इसी बीच जन सुराज पार्टी के नेता प्रशांत किशोर (PK) ने एक नया फॉर्मूला पेश किया, जिसने सबकी निगाहें अपनी ओर खींच ली हैं।

किशनगंज से नई शुरुआत

  • किशनगंज में मुसलमानों की सभा को संबोधित करते हुए PK ने कहा:

मुसलमानों को उन हिंदुओं के साथ मिलकर चलना चाहिए जो गांधी, आंबेडकर और समाजवाद की राह पर चलते हैं।
साथ ही बीजेपी को वोट नहीं देते।

  • उनका मानना है:

अगर 20% मुसलमान और बीजेपी को वोट न देने वाले हिंदू मिल जाएं, तो बिहार की सियासत में बड़ा बदलाव संभव है।

मुसलमानों से सीधी अपील

  • बिहार में मुसलमानों की आबादी लगभग 17% है।
  • लेकिन विधान सभा में उनकी संख्या सिर्फ 19 विधायक तक सीमित।

जबकि आबादी के हिसाब से करीब 40 विधायक मिलने चाहिए थे।

  • PK ने आरोप लगाया कि पिछले 30 सालों से नीतीश कुमार और लालू यादव की सरकारें सिर्फ वोट बैंक की राजनीति कर रही हैं।

विकास नहीं किया, सिर्फ वोट लिए गए।

डर की राजनीति पर जोर

  • प्रशांत किशोर ने कहा:

मुसलमानों को हमेशा डर दिखाकर पीछे रखा गया।
उन्हें सिर्फ दूसरों को जीताने के लिए वोट डालने की सलाह दी गई।

  • इस वजह से आज भी वे अपने हक से दूर हैं।

महागठबंधन पर हमला

  • PK ने साफ कहा:

मुसलमानों को अपनी ताकत पहचानकर उन हिंदुओं के साथ आना चाहिए, जो बीजेपी के खिलाफ हैं।

  • यह सीधा इशारा था महागठबंधन (RJD-कांग्रेस-जेडीयू) की तरफ।

जिन पर उन्होंने विकास नहीं करने का आरोप लगाया।

सीमांचल पर फोकस

  • सीमांचल क्षेत्र (किशनगंज, कटिहार, अररिया, पूर्णिया) मुस्लिम बहुल है।

मुस्लिम आबादी 38% से 68% तक।
कुल 24 सीटें इस क्षेत्र से आती हैं।

  • इसलिए PK ने अपनी सियासी रणनीति यहीं से शुरू की।

चुनावी समीकरण

  • पिछली बार:
    • RJD ने 18 मुस्लिम उम्मीदवार उतारे, जिनमें से 8 जीते।
    • कांग्रेस ने 12 टिकट दिए, 4 जीते।
    • AIMIM ने 5 सीटें जीतीं, बाद में आरजेडी में शामिल हो गए।
  • JDU और BJP को खास फायदा नहीं मिला।

मुस्लिम वोट बैंक अब तक महागठबंधन का मजबूत आधार रहा।
PK उसी वोट बैंक को तोड़कर अपनी तरफ खींचना चाहते हैं।

PK की बड़ी योजना

  • राजनीतिक जानकार मानते हैं कि PK सीधे बीजेपी वोटरों को नहीं तोड़ सकते।
  • इसलिए वे ध्यान दे रहे हैं उन हिंदुओं और मुसलमानों पर, जो बीजेपी को वोट नहीं देते।

उद्देश्य:
इन दोनों समूहों को जोड़कर जन सुराज पार्टी को बिहार का तीसरा विकल्प बनाना।

निष्कर्ष:
प्रशांत किशोर का नया फार्मूला बिहार की सियासत में बड़ी चुनौती बन सकता है।
महागठबंधन और बीजेपी दोनों के लिए यह वक्त बेहद अहम बनने वाला है।

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