पूर्णम की वतन वापसी
परिवार में खुशी का माहौल, सरकार को धन्यवाद

22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के खूबसूरत लेकिन संवेदनशील क्षेत्र पहलगाम में पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों द्वारा किया गया आतंकवादी हमला देश को झकझोर देने वाला साबित हुआ। इस हमले में पर्यटकों और स्थानीय नागरिकों को निशाना बनाया गया, जिससे यह हमला 26/11 मुंबई हमलों के बाद भारत में सबसे बड़ा और घातक आतंकी हमला माना जा रहा है। हमले के ठीक अगले दिन, यानी 23 अप्रैल को, सीमा सुरक्षा बल (BSF) के जवान पूर्णम कुमार शॉ गलती से गश्त के दौरान अंतरराष्ट्रीय सीमा पार कर पाकिस्तान की सीमा में प्रवेश कर गए। पाकिस्तान रेंजर्स ने उन्हें तुरंत पकड़ लिया और हिरासत में ले लिया। इसके बाद से ही जवान की सुरक्षा और रिहाई को लेकर भारत में चिंता का माहौल पैदा हो गया था। उनके परिवार के लिए यह समय बेहद तनावपूर्ण और पीड़ा से भरा था। जवान की पत्नी और परिजनों ने लगातार सरकार और रक्षा अधिकारियों से संपर्क बनाए रखा और सहायता की गुहार लगाई। इस बीच, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने व्यक्तिगत रूप से जवान की पत्नी से संपर्क किया और उन्हें हर संभव सहायता व भरोसा दिलाया। सोशल मीडिया पर तृणमूल कांग्रेस (TMC) के आधिकारिक X (पूर्व में ट्विटर) हैंडल से यह जानकारी दी गई कि मुख्यमंत्री खुद इस मुद्दे पर नजर बनाए हुए थीं।
भारत सरकार ने भी इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए पाकिस्तान से जवान की तत्काल और सुरक्षित रिहाई की मांग की। वहीं, देश के रक्षा विशेषज्ञों और रणनीतिक समुदाय ने इसे भारत की सुरक्षा और संप्रभुता के खिलाफ एक संवेदनशील मामला बताया। रक्षा विश्लेषक कैप्टन (रिटायर्ड) अनिल गौर के अनुसार, पाकिस्तान इस मामले में टालमटोल कर रहा था, लेकिन भारत द्वारा 7 मई को लॉन्च किए गए जवाबी सैन्य अभियान “ऑपरेशन सिंदूर” ने पूरे समीकरण को बदल दिया। इस ऑपरेशन के तहत भारतीय वायुसेना, थलसेना और नौसेना ने मिलकर पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में स्थित कई आतंकी शिविरों और बुनियादी ढांचों को सटीक और समन्वित हमलों में पूरी तरह तबाह कर दिया। यह ऑपरेशन भारत की “जीरो टॉलरेंस” नीति का एक प्रत्यक्ष प्रमाण था, जिसने यह स्पष्ट कर दिया कि भारत अब किसी भी आतंकी हमले को नजरअंदाज नहीं करेगा और हर साजिश का जवाब निर्णायक तरीके से देगा।
ऑपरेशन सिंदूर के बाद, पाकिस्तान ने 7 और 8 मई की रात को भारत के श्रीनगर, जम्मू, पठानकोट और अमृतसर जैसे 15 प्रमुख सैन्य ठिकानों को निशाना बनाते हुए ड्रोन और मिसाइल हमले किए। हालांकि, भारतीय सेना, वायुसेना और नौसेना के समन्वित और तत्पर प्रयासों ने पाकिस्तान के इन हमलों को पूरी तरह नाकाम कर दिया। विशेष रूप से भारतीय नौसेना ने अपने शक्तिशाली कैरियर बैटल ग्रुप (Carrier Battle Group) और एडवांस एयर डिफेंस सिस्टम का इस्तेमाल कर समुद्री क्षेत्र में पाकिस्तान के वायु तत्वों को निष्क्रिय कर दिया। इस ऑपरेशन ने पाकिस्तान को यह स्पष्ट संदेश दिया कि भारत अब कूटनीति के साथ-साथ सैन्य ताकत का भी प्रभावी प्रयोग करने के लिए तैयार है। इस दबाव के चलते पाकिस्तान ने अंततः बीएसएफ जवान पूर्णम कुमार शॉ को 14 मई 2025 को अमृतसर के अटारी बॉर्डर पर भारतीय अधिकारियों को सौंप दिया।
जवान की सुरक्षित वापसी के बाद उनके परिवार में खुशी का माहौल है। उनके घर में मिठाइयाँ बाँटी जा रही हैं और आसपास के लोग बधाई देने आ रहे हैं। जवान के परिवार ने पत्रकारों से बात करते हुए बताया कि बीते दो हफ्ते उनके लिए बेहद मुश्किल भरे रहे, लेकिन अब उनका बेटा सुरक्षित वापस लौट आया है, यही सबसे बड़ी राहत है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री और बीएसएफ अधिकारियों का हृदय से आभार व्यक्त किया, जिनके प्रयासों से यह संभव हो सका। बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने भी सोशल मीडिया पर पोस्ट कर इसकी पुष्टि की और सरकार की तत्परता की सराहना की। पूर्णम कुमार शॉ पश्चिम बंगाल के हुगली जिले के श्रीरामपुर के रिशड़ा इलाके के निवासी हैं। अब उनके परिवार और स्थानीय लोग उन्हें एक नायक की तरह देख रहे हैं, जो विपरीत परिस्थितियों से लड़कर वापस लौटे हैं। यह पूरी घटना भारत की सामरिक दृढ़ता, राजनीतिक इच्छाशक्ति और मानवीय संवेदनाओं का प्रतीक बन गई है।

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