अयोध्या में महिला दरोगा की दबंगई का वीडियो वायरल, पुलिस की कार्यशैली पर उठे सवाल

अयोध्या में महिला दरोगा की दबंगई का वीडियो वायरल, पुलिस की कार्यशैली पर उठे सवाल

उत्तर प्रदेश की धार्मिक नगरी अयोध्या, जो भगवान राम की जन्मभूमि और विश्वभर में मर्यादा एवं शांति का प्रतीक मानी जाती है, एक बार फिर सुर्खियों में है। इस बार वजह है राम जन्मभूमि थाने में तैनात महिला दरोगा शिखा सिंह, जिनका एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। वीडियो में देखा जा सकता है कि एक मामूली सड़क दुर्घटना—जहां दरोगा की स्कूटी एक ई-रिक्शा से हल्के से टकरा जाती है—के बाद उन्होंने अपना आपा खो दिया और ई-रिक्शा चालक को सरेआम थप्पड़ों से पीटना शुरू कर दिया।

यहीं नहीं, जब रिक्शा में बैठी सवारी ने हस्तक्षेप कर विरोध जताया, तो महिला दरोगा ने उसके साथ भी अभद्रता की। यह पूरी घटना परिक्रमा मार्ग स्थित ब्रह्मकुंड के पास हुई, जिसे एक राहगीर ने कैमरे में कैद कर लिया। वीडियो के वायरल होते ही पुलिस की कार्यशैली और कानून व्यवस्था पर बड़े सवाल खड़े हो गए हैं। स्थानीय लोगों के अनुसार, शिखा सिंह पिछले तीन वर्षों से राम जन्मभूमि थाना क्षेत्र में तैनात हैं और उनका व्यवहार अक्सर आक्रामक रहता है।

इस घटना पर प्रशासन ने कार्रवाई करते हुए महिला दरोगा को लाइन हाजिर कर दिया है और जांच का जिम्मा सीओ अयोध्या को सौंपा गया है। हालांकि, सीओ आशुतोष तिवारी का कहना है कि उनके पास अभी तक इस घटना की कोई औपचारिक शिकायत नहीं पहुंची है।

राजनीतिक स्तर पर भी यह मुद्दा गरमा गया है। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस घटना को बीजेपी सरकार की पुलिस व्यवस्था की विफलता बताया है। उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी सरकार ने पुलिस को “राजनीतिक कार्यकर्ता” बना दिया है, जो गरीब और मेहनतकश जनता पर अत्याचार करती है, जबकि असली अपराधी खुलेआम घूमते हैं। अखिलेश ने मांग की है कि इस मामले की निष्पक्ष जांच हो और दोषी दरोगा पर सख्त कार्रवाई की जाए।

यह घटना न केवल अयोध्या बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था और पुलिस सुधारों पर सवाल खड़े करती है। खासकर तब, जब अयोध्या जैसे संवेदनशील और धार्मिक स्थल पर इस तरह की घटना घटती है। यह समाज के उस वर्ग में रोष को जन्म देती है, जो पहले से ही प्रशासनिक दमन का शिकार होता रहा है।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह मामला आगामी 2027 विधानसभा चुनाव की राजनीति को भी प्रभावित कर सकता है, जहां समाजवादी पार्टी इस मुद्दे को लेकर सरकार पर सीधा हमला कर सकती है। यह घटना न केवल पुलिस जवाबदेही की मांग को दोहराती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि सत्ता के संरक्षण में कार्य कर रही पुलिस कैसे आम नागरिकों के अधिकारों का हनन कर रही है।

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