दाल-चावल खाने के शौकीन है तो सावधान रहें !
आज हम भारत@9 में बात दाल और चावल की होगी जो हिंदुस्तान में सबसे ज्यादा खाया जाता है कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक दाल और चवाल का इस्तेमाल खूब होता है हिंदी भाषी प्रदेश हो या दक्षिण जब भी फटा-फट खाना बनाने की बात आती है और हल्का भोजन करने की बात होती है तो याद आता है दाल और चावल…बॉलीवुड एक्ट्रेस दीपिका पदुकोण को रस्सम राईस बहुत पसंद है हो सकता है आप हमारी बात को नहीं माने लेकिन दीपिका पदुकोण के उदाहरण के साथ शायद आप समझ पाएं.. वो अभिनेत्री है करोड़ो कमाती है और करोड़ों में उनके फॉलॉवर्स भी है…तो उनकी बात को समझने वाले व्यकित ज्यादा होंगे और यहीं रस्सम राईस यही चावल और दाल हमारे देश में नकली घूम रहे हैं ये सोचने की जरुरत है… ये भी सोचने की जरुरत है की ये मिलते कहां हैं तो ये आपको मिल जाएंगे फूड ज्वाइंट्स पर जो सड़क किनारे खाने के ठेले लगते हैं उनमें ज्यादा से ज्यादा ये मिलते हैं जहां कहा जाता है की बड़े सस्ते में दाल और चावल मिल जाते हें बडे चाव से आप राजमा चावाल कढ़ी चावल छोले चावल खा रहे हैं लेकिन क्या आपने कभी सोचा है की जो चावल 80 रुपये किलो 100 रुपये किलो आता हो वो आपको ठेली पर इतने सस्ते कैसे मिल जाते है और दाले इतनी सस्ती कैसे मिल जाती है और वो कैसे पूर्ति कर देते हैं उनके पतीले में खाना कभी खत्म नही होता और हमेशा वो किसी न किसी को सर्व कर रहे होते हैं हम ये नहीं कह रहे हैं हर कोई नकली चावलों और दालों का इस्तेमाल कर रहे हैं लेकिन ज्यादातर ऐसा ही हो रहा है हम क्या नकली खा रहे हैं हमे खुद पता नहीं चल पा रहा है …लोग लेकिन उसे खा रहे हैं स्वाद के लिए और ये लोग उसे तेल और घी में बना रहे हैं वो तेल कैसा है घी कैसा है खैर ये तो बाद का विषय है …आप में से बहुत लोगों को पता होगा की चावल भी नकली आते हैं प्लास्टिक से बने चावल आते हैं इसका इस्तेमाल सबसे ज्यागा फ्राइड राईस में होता है
चावाल प्लास्टिक
आपको याद होगा कुछ सालों पहले आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, दिल्ली और उत्तराखंड सहित कई राज्यों में प्लास्टिक चावल को लेकर खूब बवाल हुआ था
नकली चावल से कैंसर का खतरा
डॉक्टर मानते हैं कि प्लास्टिक चावल के सेवन से इसका सीधा असर पेट में पड़ता है। इससे आपको पेट से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इसके रोजाना सेवन करने से कैंसर भी हो सकता है। प्लास्टिक के चावल के तत्काल दुष्प्रभाव नहीं होते हैं, लेकिन अगर थोड़ी मात्रा में इसका सेवन किया जाए तो यह एंडोक्राइन सिस्टम को प्रभावित कर सकता है, जिससे हार्मोनल परिवर्तन होते हैं और इससे लीवर कैंसर भी हो सकता है। इसके अलावा नकली चावल को बड़ी आंत की कोशिकाएं अवशोषित नहीं कर पाती हैं जिससे कमजोर हो जाती हैं।
अब आप चावल नहीं प्लास्टिक खा रहे हैं आप सोचिए की आप कौन सा जहर खा रहे हैं जो बनता चावल की तरह है दिखाता बिल्कुल वैसा ही है और खुशबू भी वैसी ही आती है पर सहीं मायनों में वो प्लास्टिक है कहा जाता है की इस संसार से प्लास्टिक कभी खत्म नहीं हो सकता यही वजह है की देश दुनिया में पर्यावरण की शुद्ध रखने के लिए प्लास्टिक के इस्तेमाल को खत्म करने की मुहिम जारी है और उस प्लास्टिक का इस्तेमाल हो जिसे हम रि-साइकिल कर पाएं लेकिन जो आपके पेट में चला गया उसका क्या ?
समझिए जिस प्लास्टिक को खत्म करने के लिए पर्यावरण भी असमर्थ है तो आपके पेट का प्लास्टिक कैसे साफ होगा और प्लास्टिक कौन-कौन से रुप धारण करेगा कौन-कौन सी बिमारियां लेकर आएगा सबसे अहम बिमारी तो कैंसर है जो प्लास्टिक आपके अंदर जा रहा है वो कब कैंसर का रुप धारण कर लेगी और कब कैंसर की सेल्स को एक्टिवेट कर देगी आपको पता भी नहीं चलेगा आप इलाज किसी और चीज का करवा रहे होंगे वजह कुछ और होगी.जो खाना-पान आप अपने बच्चों को खुद को खिला रहे हैं ठेले पर जा कर की चलो आज चीट डे कर रह हैं ये कितना खतरनाक है आप सोचिए हम लोग सस्ते की चक्कर मे ऐसे फूड प्वाइंट्स पर जा कर खा लेते हैं और ये हम नहीं जानते की वहां जो चावल इस्तेमान हो रहा है वो असली है या प्लास्टिक है .
तो प्लास्टिक के राईस आने पर जो किसानों की मेहनत थी जो आपको पौष्टिक आहार देते थे कही न कहीं उन किसानो का शोषण हुआ है साथ ही अपने शरीर का भी ऐसे नकली खाने से हमने शोषण किया न तो सही मूल्य पर हम किसान से सही अनाज खरीद पाए और न ही अगर हम सस्ते के चक्कर में प्लास्टिक खा रहे होते तो आज हमारे किसान भी खुश होते , न उनको सब्सिडी की जरुत होती, न किसी सहायता धनराशि की क्योकि अगर हम वाकई पौष्टिक आहार लें तो लागत के हिसाब से किसान पैसा मागेंगा .लेकिन ये विडंबना है की लोगों को जो नक्ली और असली की पहचान नहीं है वो बस खाने पर फोकस करते है दालों का भी हाल ऐसा ही है पॉलिश्ड दाल बाजारों में बिक रही है ऑर्गेनिक तरीके से उनकी खेती नहीं हो रही है क्योकि पूर्ति भी करनी है और मुनाफा भी कमाना है और हम जैसे लोगों को सस्ता भी खरीदना है दालों का कितना उत्पादन है कितना हम निर्यात करते हैं ये देखना भी जरुरी है
कितना उत्पादन है कितना निर्यात और कितनी खपत
उत्पादन
भारत में 2022-23 में दलहन फसलों का 278.10 लाख टन उत्पादन हुआ है. यह अब तक का रिकॉर्ड है, यानी दालों का इतना उत्पादन कभी नहीं हुआ. पिछले सालों के 273.02 लाख टन उत्पादन की तुलना में इस बार उत्पादन 5.08 लाख टन ज्यादा
निर्यात
भारत ने पिछले कुछ वर्षों में दालों के निर्यात में तेजी से वृद्धि देखी है। भारत से दलहन का निर्यात लगभग 2.70 लाख टन था जिसकी कीमत वर्ष 2018-2019 में 1679.98 करोड़ रुपये है
खपत
भारत में दाल के रूप में अरहर का सबसे ज्यादा इस्तेमाल होता है. इसी का उत्पादन पिछले साल भर में ही रिकॉर्ड 7.9 लाख मीट्रिक टन कम हुआ है. साल 2021-22 में 42.20 लाख टन का उत्पादन हुआ था, जो 2022-23 में 34.30 लाख टन रह गया. भारत में लगभग 45 लाख टन अरहर दाल की खपत होती है
ये सप्ताह हमने आपको डराने के लिए नहीं सच दिखाने के लिए और सावधान करने के लिए निकाला है तो आप सचेत रहे अपने और अपनों को स्वास्थय को लेकर और बच्चों को भी ऐसे खाने को लेकर आप नो मिनस् नो का तरीका बताएं
ठेलिया पर खाना अनहेल्थी हो सकता है यहां हर जगह की बात नहीं हो रही है कुछ जहगों की हम बात करे रहे हैं
दालों के प्रकार
1. मूंग की दाल
2. मसूर दाल
3. अरहर दाल
4. उड़द दाल
5. चने की दाल
चावलों के प्रकार
वैसे तो भारत में 6 हजार से ज्यादा प्रकार के चावल मिलते हैं लेकिन उन प्रकारों पर नजर डालते है जो ज्यादातर इस्तेमाल होते हैं
1. बासमती चावल
2. गोबिंदभोग चावल
3. मोगरा राइस
4. इंद्राणी चावल
5. पलक्कड़न मट्टा
6. ब्राउन राइज
7. ब्लैक राइज
नकली-असली की पहचान ये अब हम आपको बताने जा रहे हैं
1. मुट्ठी भर चावल लें और उसे माचिस की तीली या लाइटर का उपयोग करके जला दें। अगर चावल के कण प्लास्टिक के बने हैं तो जलने के तुरंत बाद उनमें से प्लास्टिक की गंध निकलेगी।
2. चावल को उबालकर एक बोतल में 2-3 दिन के लिए रख दें. यदि उबले हुए चावल पर फंगस का असर नहीं होता है तो यह सामान्य चावल नहीं बल्कि प्लास्टिक चावल है।
3. थोड़े से चावल लें और उस पर गर्म तेल डालें। अगर चावल प्लास्टिक का बना है तो वह थोड़ी देर में पिघल जाएगा और कंटेनर के तले में चिपक जाएगा.
4. अब आता है पानी का टेस्ट. पानी की एक बोतल लें और इसमें एक बड़ा चम्मच चावल डालें और इसे कुछ देर तक हिलाएं। यदि चावल जल स्तर के ऊपर तैरता है, तो यह प्लास्टिक चावल है। यह है क्योंकि; प्राकृतिक चावल पानी पर तैरता नहीं है।
5. नकली चावल की पहचान उबालते समय की जा सकती है। अगर चावल प्लास्टिक का बना है तो उबालते समय बर्तन पर इसकी मोटी परत बन जाएगी।
कहते हैं न महंगा राए एक बार और सस्ता रोए बार-बार सत्ता खाने के चक्कर में प बार-बार अस्पतालों के चक्कर भी काटोगे मेडिसिन से आप कुछ समय के लिए ठीक हो जाओगे लेकिन कभी न कभी किसी भी रुप में ये प्लास्टिक आपको परेशान कर सकता है आपके लिवर पर पाचन क्रिया पर इसका बुरा प्रभाव पड़ सकता है किडनी पर अगर डाल सकता है दिल से संबंधित बिमारियां हो सकती है और कैंसर होने के चांस सबसे ज्यादा होते हैं जब आप फैटी हो जाते हो इस तरह का खाना खाने से अचानक आपका वजन बढ़ने लगता है क्योकि आप पौष्टिक आहार नहीं ले रहे हो पेट भरने को आप पौस्टिक आहार नीहं कह सकते संतुलित आहार जरुरी है
NEWS WORLD INDIA परिवार के साथ 1 फरवरी 2021 को एंकर के तौर पर ज्वाइन किया 3 सालों मे एंकर से सिनियर एंकर तक का सफर.राजनीति से लेकर रिसर्च बेस्ड प्रोग्राम, फील्ड रिपोर्टिंग, कई महाअनुभवों के इंटरव्यू, क्षेत्रिय मुद्दे, इंटरनेशनल मुद्दों पर बात, डिबेट्स, स्पेशल प्रोग्राम, प्रोड्यूसर के तौर काम, किसान आंदोलन कवर किया, कोरोना के टाइम पर लोगों को घर अपडेट दिया. सुप्रीम कोर्ट से लेकर संसद तक की हर खबर पर नजर रखी, समाजिक सांस्कृतिक और जनता के सरोकार की हर खबर पर नजर रखी रिपोर्टिंग की.
देश के हर बड़े मुद्द पर बात करना, राजनीती मे दिलचस्पी, डांसिंग, संगीत सुनना, किताबें पढ़ना, नई-नई जगहों को EXPLORE करना, पौराणिक चीजों में रुचि, इतिहास को पढ़ना, ईमानदारी से काम करन.हिन्दी, अंग्रेजी, हरियाणवी, भोजपुरी, बंगाली, पंजाबी भाषाओं की समझ. ( काम के प्रति निष्ठावान होना जरुरी है ) कर्म पर सबसे ज्यादा विश्वास है.