“झूठ की जीत या सच्चाई की हार?”

पाकिस्तान की ‘फ़तह’ पर अपने ही पत्रकारों ने उठाए सवाल

भारत द्वारा 7 मई 2025 को शुरू किए गए ऑपरेशन सिंदूर ने सिर्फ़ आतंकवादियों के ढांचों को तबाह नहीं किया, बल्कि पाकिस्तान के राजनीतिक और फौजी निज़ाम की पोल भी खोल दी है। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए बर्बर आतंकी हमले के बाद भारत ने कड़ा और रणनीतिक जवाब दिया, जिसमें वायुसेना, थलसेना और नौसेना ने मिलकर पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर और सीमा पार मौजूद आतंकियों के ठिकानों को नेस्तनाबूद कर दिया।

लेकिन जैसे ही भारत की इस कार्रवाई का असर पाकिस्तान की ज़मीन पर दिखने लगा, वहाँ की हुकूमत ने जवाबी दावे करने शुरू कर दिए। पाकिस्तान की शहबाज़ शरीफ़ सरकार और आर्मी ने ‘बुनियान उल मरसूस’ नाम का जवाबी ऑपरेशन दिखाकर अवाम को यह यक़ीन दिलाने की कोशिश की कि उन्होंने भारत को मुँहतोड़ जवाब दिया है। मगर सवाल ये है – क्या वाक़ई ऐसा हुआ?

क्या अपने बच्चों को बेवक़ूफ़ बना रहे हैं?” — अहमद नूरानी का फटकार

पाकिस्तान के जाने-माने स्वतंत्र और बेबाक पत्रकार अहमद नूरानी ने अपनी यूट्यूब वीडियो में पाकिस्तान की सरकार और फौज की दावेदारी को सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने कहा:

ये जवाब नहीं है कि हमने उनका जहाज़ गिरा दिया… उन्होंने आपके मेनलैंड के चार शहरों में टारगेट को हिट किया, दर्जनों लोग मारे गए, और आप अब भी फ़तह का दावा कर रहे हैं? अजब बात है यार, आप अपने बच्चों को बेवक़ूफ़ बना सकते हैं, लेकिन हक़ीक़त से मुँह नहीं मोड़ सकते।”

नूरानी ने खुलकर बताया कि भारत के सैकड़ों ड्रोन पाकिस्तान के शहरों में दाख़िल हुए, उन्होंने टारगेट चुनकर हमले किए – चाहे वो रावलपिंडी का स्टेडियम हो या अटक के पास का इलाक़ा – हर जगह भारतीय ड्रोन पहुँचे और वहां ख़ौफ़ और शहादत” छोड़कर लौटे।

कमर चीमा और असद तूर की दो टूक: “मोदी कामयाब हैं, हमारी कन्फ्यूज्ड लीडरशिप नाकाम”

पाकिस्तान के राजनीतिक विश्लेषक कमर चीमा, जो अक्सर भारत विरोधी लाइन के लिए जाने जाते हैं, उन्होंने इस बार अपनी ही सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया। एक टीवी शो में उन्होंने कहा:

मोदी साहब सौ फ़ीसद कामयाब हैं। जब आपके घर के अंदर हमला होता है और आप कहते हैं कि हमने जीत हासिल की, तो ये कन्फ्यूज़ लीडरशिप है। मैं नहीं जानता इस देश का क्या होगा।”

वहीं पत्रकार असद तूर ने कहा कि पाकिस्तान हर बार भारत की जवाबी कार्रवाई में इतना नुकसान उठाता है कि वो सोच भी नहीं सकता।

भारत हर हमला इतना महँगा बना देता है कि हमें समझ नहीं आता कि एक कार्रवाई की क़ीमत हम कितने जानों से चुका रहे हैं।”

 “11 मई का शुक्रिया दिवस” या फिर सच्चाई से नज़रें चुराने की कोशिश?

पाकिस्तान सरकार ने 11 मई को “शुक्रिया दिवस” मनाया, जिसमें शहबाज़ शरीफ़ ने कहा कि पाकिस्तान ने चार दिन की जंग में भारत को शिकस्त दी। पूरे मुल्क में पटाखे छोड़े गए, नारे लगे और सरकारी चैनलों ने जीत के गीत बजाए। मगर इस ‘फ़तह’ की जमीनी हक़ीक़त कुछ और ही है।

अहमद नूरानी का कहना है कि भारत में सिर्फ़ अमृतसर जैसे सीमावर्ती इलाक़ों में सतर्कता बढ़ी, जबकि पाकिस्तान के पंजाब, सिंध और खैबर पख़्तूनख्वा के तमाम शहरों में डर और अफ़रातफरी का माहौल रहा।

आपके ऊपर सैकड़ों ड्रोन आए, बम गिरे, लोग मरे, और आप कहते हैं कि हमने जीत हासिल की? सच्चाई ये है कि हम सबको धोखा दे रहे हैं ख़ुद को सबसे ज़्यादा।”

सेंसरशिप के बावजूद उठती आवाजें: पाकिस्तान की अवाम सवाल कर रही है

पाकिस्तान में मीडिया पर सेना का सख़्त कंट्रोल है। किसी भी पत्रकार या यूट्यूबर को अगर सेना या सरकार के खिलाफ बोलना है, तो उसे या तो जेल, या धमकी, या ब्लैकआउट का सामना करना पड़ता है। अहमद नूरानी के कई वीडियो पहले ही ब्लॉक किए जा चुके हैं। असद तूर पर पहले हमले हो चुके हैं, और सोशल मीडिया पर उन्हें ‘गद्दार’ तक कहा गया है।

फिर भी, इन पत्रकारों की आवाज़ें पाकिस्तान में बदलाव की शुरुआत का संकेत हैं। वे इस झूठी जीत के पर्दे के पीछे की नाकामी, असुरक्षा और गलत नीतियों को उजागर कर रहे हैं।

ऑपरेशन सिंदूर भारत की सैन्य ताक़त ही नहीं, रणनीतिक सोच का सबूत है

भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के ज़रिए सिर्फ़ आतंकवाद को नहीं कुचला, बल्कि पाकिस्तान को ये जता दिया कि अब की हरकत का जवाब सिर्फ़ बयानबाज़ी नहीं, बलिदान और कार्रवाई से दिया जाएगा।
दूसरी तरफ़ पाकिस्तान की हुकूमत अब प्रोपेगेंडा से सच्चाई छुपाने की नाकाम कोशिश कर रही है, लेकिन उसके अपने ही नागरिक, पत्रकार, और विश्लेषक अब सवाल पूछ रहे हैं — और ये सवाल सिर्फ़ तंज़ नहीं, बदलाव की दस्तक है।

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