क्यों और कब महिलाओं ने दी थी वल्लभभाई पटेल को सरदार की उपाधी?

आज देश लोह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती मना रहा है. लेकिन क्या आपको पता है की आज जिस भारत की एकता और अखंडता की बात पुरा विश्व करता है वो सरदार वल्लभ भाई पटेल की देन है. तो आईए जानते है आज  सरदार वल्लभ भाई पटेल की कुछ अनकही अनसुनी बातों को. सरदार वल्लभ भाई पटेल का जन्म 31 31 अक्टूबर 1875 को गुजरात के नडियाद में हुआ था. उनका जन्म एक किसान परिवार में हुआ था. सरदार वल्लभ भाई पटेल की शादी मात्र 16 साल की उम्र में हो गई थी. और जब सरदार पटेल 33 साल के थे तो उनकी पत्नी की मौत हो गई थी. सरदार वल्लभ भाई पटेल को कानून की अच्छी जानकारी की थी. उन्होंने बैरिस्टर की पढ़ाई लंदन से की थी. पढाई पूरी करने के बाद सरदार पटेल ने वापस अहमदाबाद आ कर अपनी वकालत शुरु कर दी. सरदार पटेल ने गांधी जी से प्रेरित हो कर आजादी की लड़ाई में हिस्सा लिया था. सरदार वल्लभ भाई पटेल का पहला और सबसे बड़ा योगदान 1918 का खेड़ा सत्याग्रह है.

कैसे मिली वल्लभ भाई पटेल को सरदार की उपाधी ?

जब खेड़ा में सूखा पड़ा था जिससे किसानों की सारी फसलें खराब हो गई थी. लेकिन ब्रिटिश सरकार ने किसानों को कर से कोई राहत नहीं दी थी. और किसानों पर कर का जोड़ बढ़ाते जा रहे थे. जिससे आक्रोशित हो कर किसानों ने सत्याग्रह शुरु कर दिया था. जिसका नेर्तत्व सरदार पटेल ने किया था. ये वहीं समय था जब सरदार वल्लभ भाई पटेल ने अपनी वकालत को छोड़ कर सामाजिक जीवन में कदम रखा था. इस सत्याग्रह के बाद सरदार पटेल ने 1928 में बारदोली में एक और किसान आंदोलन का नेतृत्व किया था. जिसके बाद ब्रिटिश सकरार ने लोहा लेने के बाद वल्लभ भाई पटेल को वहां की महिलाओं ने सरदार की उपाधि दे दी थी. इसके साथ ही गांधी जी ने भी उन्हे बारदोली का सरदार कहकर पुकारा था.

देश के एकता और अखंडता में सरदार पटेल का है अहम रोल 

देश का विभाजन और आजादी मिलने के बाद सरदार पटेल की वो व्यक्ति थे जिन्होंने 562 छोटी-बड़ी रियासतों का एकीकरण किया था और अखंड भारत का निर्माण किया था. उनके इस योगदान को देश कभी नहीं भूला सकता. देश के विभाजन के बाद भारत कई खंडों में बंटा था. इसको एक करने में जो सबसे बड़ी समस्या थी वो थी अल्ग-अलग जगहों के रजवाड़ों को एक साथ लाना. इसको लेकर गांधी जी ने ये कहा थी की सिर्फ सरदार वल्लभ भाई पटेल ही वो शख्स है इसे हल कर सकते हैं. जिसको सरदार पटेल ने बखुबी कर दिखाया था जिसके बाद गांधी जी ने सरदार वल्लभ भाई पटेल को लौह पुरुष कह कर संबोधित किया था. सरदार वल्लभ भाई पटेल आजाद भारत पहले व्यक्ति थे, जो भारतीय सिविल सेवाओं के महत्व को अच्छी तरह समझे और भारतीय संघ के लिए उसकी निरंतरता को जरूरी बताया. सरदार पटेल ने भारत के प्रशासनिक सेवाओं को मजबूत बनाने पर बहुत जोर दिया था. सरदार वल्लभ भाई पटेल का निधन 15 दिसंबर 1950 को मुंबई में हुआ था. 

गुजरात में सरदार वल्लभ भाई पटेल की बनी है विश्व की सबसे ऊंची मूर्ती

1991 में उन्हें देश के सबसे सर्वोच्च सम्मान ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया था. किसी भी देश की एकता और अखंडता उस देश का आधार होता है जिसको सरदार वल्लभ भाई पटेल ने समझा और इस देश के अलग- अलग राज्यों को एक माला में पिरोने का काम किया. सरदार पटेल हमारे देश की एकता और अखंडता के सूत्रधार थे. यहीं वजह की पूरा देश 2014 से हर साल उनकी जन्मतिथि को एकता दिवस के रुप में मनाता है. 31 अक्टूबर 2018 को गुजरात में सरदार वल्लभ भाई पटेल की विश्व की सबसे ऊंची मूर्ति ‘स्टेच्यू ऑफ़ यूनिटी’ नर्मदा नदी के किनारे बनाई गई है. सरदार वल्लभ भाई पटेल को समर्पित के मूर्ती देश की एकता और अखंडता में दिए गए योगदान को दर्शाती है.

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