अबतक महिलाओं के प्रति कितनी उदार हुई दुनिया……..2024 तक महिलाओ के प्रति कितना कुछ बदला
दुनिया भर में जहा आज विश्व महिला दिवस मनाया जा रहा हैं,वही पूरी दुनिया में नारी और नारीवादी आंदोलनों को भी याद किया जा रहा हैं, 8 मार्च, 1917 में रूसी महिलाओं ने पेट्रोगार्द (आज का सेंट पीटर्सबर्ग) की सड़कों पर प्रथम विश्व युद्ध और जार के खिलाफ हल्ला बोलकर महिला दिवस मनाया था,
20वीं सदी में भारत, ईरान, अफगानिस्तान और खड़ी के देशों में हुए आंदोलनों ने समूचे दुनिया को हिला कर रख दिया, तो कई इस्लामिक देशों ने रूढ़ीवादी परंपरा से निकलते हुए आधुनिकता की तरफ रुख किया,
2018 में सऊदी अरब ने महिलाओं को कार चलाने, फुटबॉल मैच देखने की अनुमति दे दिया था, इस साल सऊदी के हिजाब की अनिवार्यता खत्म करने की पहल को पूरी दुनिया ने सराहना की और साथ ही उन्होंने कहा की आने वाले 25 सालों में हम कट्टरता खत्म कर देंगे।
2022 ईरान में 22 वर्षीय मेहसा अमीनी नाम की युवती की धार्मिक पुलिस के हिरासत में हुई मौत के बाद जो हुआ उसे पूरी दुनिया का ने देखा, उसके समर्थन में हुए आंदोलन और इसका असर ईरान समेत पूरी दुनिया पर हुआ ,जहा नारीवादी विचारधारा में बल मिला वही महिलाओ में रूढ़ीवादी परंपरा और पित्रसत्ता को चुनौतियाँ देती दिखी ।
आंदोलनकारियों ने ईरान की सरकार को झुकने पर मजबूर कर दिया, और हिजाब की अनिवार्यता को भी खत्म करवा दिया,
पिछले साल हुए भारतीय महिला पहलवानों के कथा कथित यौन उत्पीड़न के मामले में कोई कार्रवाई ना होने पर महिला पहलवानों के आंदोलन पर जहा सरकार बैक फुट पर नजर आई
वही ये खबर पूरी दुनियाभर में सुर्खियां बटोरी, भारत जैसे दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश में एक अंतरराष्ट्रीय स्तर के महिला पहलवान के साथ ऐसा हो रहा हैं, तो आम महिलों के अंदर किस प्रकार की सुरक्षा की भावना होगी ?
भारत सरकार के नारी सशक्तिकरण वाले दावे कितने सही हैं और भारत में महिलाये कितनी सुरक्षित हैं इस पर भी चर्चा हुई।
Georgetown Institute for Women, Peace and Security के रिसर्च के अनुसार भारत में 15 या 15 साल के उपर की महिलाओं में सुरक्षा की भावना कम हुई हैं,
जहा देश में 2017 में 65.05 % महिलायें खुद को सुरक्षित महसूस कर रही थी वही ये आंकड़ा 2023 में घट कर फीसदी 58.05 तक आ गई, वही अगर देखा जाए तो इसकी तुलना में चीन में 91 फीसदी, यूनाइटेड किंगडम में 74 फीसदी अमेरिका में 64 फीसदी हैं,
इस मामले में सबसे बत्तर हालत दक्षिण अफ्रीका का हैं जहा पर सिर्फ 27 फीसदी महिलाएँ खुद को सुरक्षित महसूस करती है।
इस रिसर्च से पता चला हैं की पूरी दुनिया में हर आठ मे से एक या उससे अधिक महिलाएं यौन हिंसा का शिकार हुई है, ये हिंसा उनके साथ उनके डोमेस्टिक पार्टनर या किसी दोस्त ने 12 महीनो के अंदर किया हैं। भारत में ये घटना 18 फीसदी हैं, सिंगापुर और स्विट्ज़रलैंड ये 2 फीसदी हैं और सबसे ज्यादा इराक में 45 फीसदी है, यानि अलग अलग देशों के अलग अलग आकड़ें हैं।
भारत में साल 2021 के मुकाबले 2022 में महिलाओं के खिलाफ अपराध 4 फीसदी बढ़े हैं. NCRB रिपोर्ट के मुताबिक, 2022 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के तहत 4,45,256 मामले दर्ज किए गए हैं, जबकि 2021 में ये संख्या 4,28,278 थी. वहीं 2021 में 2020 के तुलना में महिलाओं के खिलाफ अपराधों में 15.3 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई
NCRB रिपोर्ट के मुताबिक, महिलाओं के खिलाफ ज्यादातर यौन उत्पीड़न के मामले में ‘पति या उसके अपने रिश्तेदारों द्वारा क्रूरता से की जाती हैं’ और ये 31.4 प्रतिशत तक भारत में हैं।
इन सब चिंताजनक आकड़ो के बाद भारत में औरतों को न्याय मिलने की दर बहुत काम हैं यह तक की यौन अपराध के मामले में निष्पक्ष रूप से कार्रवाई तक नहीं होती और वो सामान्य न्याय से भी वंचित रह जाती हैं,
Journalist DIPANSHU TIWARI
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